झूठौ सुख संसार को, चेतन सो थिरि नाहिं।

निसि वासर पचि पचि मरै, फुलि रहया मन माहिं।

फुलि रहया मन माहिं, करम करता नहीं डरपै।

सुमरै नाहीं राम, कपट माहीं तन अरपै।

राम भज्यां सुख पद लहै, गिरह धंध भौं माहिं।

झूठौ सुख संसार को, चेतन सो थिरि नाहिं॥

स्रोत
  • पोथी : स्वामी चेतनदास व्यक्ति, वाणी, विचार एवं शिष्य परंपरा (उपदेस को अंग) ,
  • सिरजक : चेतनदास ,
  • संपादक : ब्रजेन्द्रकुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : संत उत्तमराम कोमलराम 'चेतनावत' रामद्वारा इंद्रगढ़, (कोटा) राजस्थान ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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