झूठौ सुख संसार को, चेतन सो थिरि नाहिं।
निसि वासर पचि पचि मरै, फुलि रहया मन माहिं।
फुलि रहया मन माहिं, करम करता नहीं डरपै।
सुमरै नाहीं राम, कपट माहीं तन अरपै।
राम भज्यां सुख पद लहै, गिरह धंध भौं माहिं।
झूठौ सुख संसार को, चेतन सो थिरि नाहिं॥