जसवँत गुरड़ न उड्डही ताळी त्राजड़ तणेह।
हाकलियाँ ढूला हुवै पंछी अवर पुणेह॥
हुवै पँखराव जिम वीर हाकलियाँ।
थरहरै कायराँ उवर ढीला थियाँ॥
छोह करताळियाँ चिड़कला छड्डही।
अभंग जसवँत जुध गुरड़ नहँ उड्डही॥