हूँ बलिहारी साथियाँ, भाजै नहँ गइयाह।
छीणा मोती हार जिमि, पासै ही पड़ियाह।
पड़ै रिण पाखती छीणवै हार परि।
आवरत फेरि संघारि झूँझारि अरि।
हाथळै झेरवी कड़तळाँ हाथियाँ।
सहै झुझा थया बळि जसा रा साथियाँ॥