हे पणिहारी बापड़ी जहरी सूँ वर जाय।
केड़ै कटकाँ लूँबियाँ लायक मरसी आय॥
आवसी जिकौ नहँ जावसी अपूठौ।
महा मैमंत काळौ चखाँ मजीठौ॥
अणी चढ़ि खेति जसवंत सूँ आहुड़ी।
पिय नखै पौढसी नहीं पणिहारड़ी॥