हालाँ झालाँ होवसी सीहाँ लत्थौबत्थ।

धर पैला अपणावसी कै अपणी पर हत्थ॥

करै धर पारकी आपणी जिकै नर।

केवियाँ सीस खग-पाण करणा कचर॥

सत्रहराँ नारि नहँ नींद भरि सोवसी।

हलचलाँ सही हालाँ घरै होवसी॥

स्रोत
  • पोथी : हालाँ झालाँ रा कुंडलिया ,
  • सिरजक : ईसरदास ,
  • संपादक : मोतीलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय