घुड़ला रुधिर झिकाळिया ढीला हुआ सनाह।
रावतियाँ मुख झाँखणाँ सहीक मिळियौ नाह॥
नाह मिळियौ सही विरँग रँग नीसरै।
क्रमंताँ प्रथी सिर जेज नहँ को करै॥
रीसियै जसै भड़ रिमाँ घड़ रोळियाँ।
झूड़ि उस असमराँ रुधरि झकबोळियाँ॥