घोड़ाँ हींस भल्लिया पिय नींदड़ी निवारि।

वैरी आया पावणा दळ-थँभ तूझ दुवारि॥

दळ-थँभ तुझ दुवारि झुँझारि धवळ तणा।

घणाँ बिरदाँ लहण आविया अरि घणा॥

घणा नींदाळवाँ नींद वारौ घणी।

तूंग नहँ छै भली हींस घोड़ाँ तणी॥

स्रोत
  • पोथी : हालाँ झालाँ रा कुंडलिया ,
  • सिरजक : ईसरदास ,
  • संपादक : मोतीलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय