चढ़ि पोरिस वह सोह चढ़ि चढ़ि रिण तोरणि चालि।
कुंवारी घड़ कड़तळाँ झूँझ भार भुज झालि॥
झालियै भार झूँझारि भुजि झालियै।
पाट ऊधौर हालाँ बखत पालियै॥
पौह घणा भागलाँ गई मुहराइ पड़ि।
चाव गुर जसौ जिण वार वर सोह चड़ि॥