सेल घमोड़ा किम सह्या किम सहिया गज दंत।
कठिण पयोहर लागताँ कसमसतौ तू कंत॥
कंत सूँ ओळँबौ दियौ इम कामणी।
अैण घट आज रा केम सहिया अणी॥
ईखता आप नारँग फळ आकरा।
सह्या किम कंत अ घाव घट सेल रा॥
हे कंत! तुमने भालों के प्रहार को कैसे सहा? कैसे हाथियों के दाँतों को सहन किया? तुम तो कठोर स्तनों के स्पर्श से ही घबरा जाते थे। स्त्री ने पति को इस तरह उलाहना दिया। इस देह पर तुमने कैसे आज भालों की नोंक को सहन किया। तुमको तो स्तन भी तीक्ष्ण दिखाई देते थे। हे कंत! कैसे तुम ने इन भालों के घावों को इस शरीर पर सहा।