अरक जसौ जगि आथमै गौ चकवाँ गुणियाँह।
भुवण अंधारौ भाँजिसी त्रिभुवण पति कुणित्याँह॥
तियाँ कुणि भाँजिसी भुवण अंधियार तण।
भमै नर संजोगी विजोगी इणि भुवण॥
सुकवि चकवा दुखी सुखी कुणि करै सक।
आजि जगि आथमै जसौ दूजौ अरक॥