आपै ही जाणावसी भलौ ज होसी वग्गि।
कै माँगिण दरसावियाँ कै ऊछजियाँ खग्गि॥
खागि कै ऊछाजियै खंडे रिण अरि दळाँ।
सूर प्रगटाहियै सो सराँ साबळाँ॥
अभँग जसवंत जुध काम कजि आवियौ।
जुड़ंताँ धवळ रौ भलौ जाणावियौ॥