च्यार बिलांत रा मुंशीजी, डीगा-डीगा पग धेरै।
छव फुट री घर धिराणी, रोज मसखरी करै॥
दो मुठी काया सगळी, तारा तोड़ण री बात करै।
डीगी-डीगी गपां सागै, माडाणी बेसवार फिरै॥
खा-खा माल मोफत रो, पाणी बिना चळु करै।
ओड आवै खंधेड़ा हेटै, तो ओ भी कीं हुंकार भरै॥
कर-कर काळा कागद, धन-माया घण भेळी करी।
राज रै खजानै में रैयो सीर, साख सरबाळै सरी॥
पईसा यांरो माई-बाप, पईसो ही दीन-ईमान है।
रूपियां री ताकड़ी में तोलै, ओ ही घण गुमान है।
उमर मुसाण पूगै जित्ती, पण हाल घोड़े असवार है।
पुरस्कार बगी पाळा टुरज्या, वै ओकला ही मिसाल है।
बै हरैक री काण-कसर काढण, दिन-रात ताता रैवै।
खुद नैं समझै टणकासिंघ, दूजा नैं बिसरांवता रैवै॥
धन-माया में गैला हुय, राम नांव कदैई लियो कोनी।
जमराज लेवैला म्यांनौ, जठै कूड़ी गप्पां चालैला कोनी॥