छंद - कनकमंजरी॥

अयि जगदंब रटूं तुझ अंब करो भुज लंब उबारणतें।

पय मझ शाह पुकार करे तरणी भव सागर तारणतें।

सुण किनियांण करी किरपांण लजांण रखी झट बीसहथे।

जय जय हे करणी किरपाळिय लोवड़याळिय मेहसुते॥

करनल आप लियो अवतार सुवाप धरा घर मेहसदू।

उजळिय सातम देह धरांणिय मासअसोजिय आपरिधू।

हरखत कोड करे कुल चारण छंद रचे कविराजनते।

जय जय हे करणी किरपाळिय लोवड़याळिय मेहसुते॥

झनन झनाझन झिंकृत झांझर ढोलक चंग मृदंग बजे।

करनल आवड़ तेमड़ राजल मोगल सोनल रास सजे।

थनन थनाथन थाळ पखावज घोर नगारन नादरते।

जय जय हे करणी किरपाळिय लोवड़याळिय मेहसुते॥

कर त्रयशूल मिटावण मूल मिलावण धूलम राखन को।

धकधक होय रिदे जमराजन लेंण गई जद लाखन को।

जमपुर जायम साय करायम प्राण बचायम लाखनते।

जय जय हे करणी किरपाळिय लोवड़याळिय मेहसुते।

करनल बाळ पणें इक रत्त उपाय कियो पितु तारण को।

थळवट धेन‌ चराय कियो धर बारह कोसन ओरण को।

गढ थरपाय सहाय करायरु राज दिराय बिकाणनते।

जय जय है करणी किरपाळिय लोवड़याळिय मेहसुते॥

अयि डढियाळ उडीकत बाल बणो मम ढाल पुकारणते।

थरर भुमंडल नाद करे जद बाघ चढे अरि मारणते।

घण घड़डाट अकास हुवे अर आभ फटे चपलावनते।

जय जय है करणी किरपाळिय लोवड़याळिय मेहसुते॥

झटपट दौड़ पुगे उण ठौड़ करे कुण हौड़ मृगाधिपते।

रजवट राखण म्लेछ विपाटण काटण कष्ट समाजनते।

विदग करे अरदास सदा तुझ आस पुरो सतयेन्द्रनते‌।

जय जय है करणी किरपाळिय लोवड़याळिय मेहसुते॥

स्रोत
  • सिरजक : सत्येन्द्र सिंह चारण झोरड़ा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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