साहित अर संगीत, ज्योतिस दरसण सासतर।

हक कर अेकठ रीत, कवण निभासी केसरी॥

एकर पाछो आव, पिंडताई रा पूतळा।

साहित राह सुझाव, कुण नै पूछूं केसरी॥

आसी पिंडत अनेक, सेसी माता सारदा।

इसड़ो गुणवंत अेक, कदे आसी केसरी॥

स्रोत
  • पोथी : बाळसाद ,
  • सिरजक : चन्द्रसिंह ,
  • प्रकाशक : चांद जळेरी प्रकासन, जयपुर
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