आँधी चालै आँख्यां फूटै, घुळजा पांणी रेतड़ली।
बळती चालै खीरा उछळै, बळ-बळ जावै चामड़ली॥
ऊंचा धोरा रेत उड़ावे, ऊभी सूकी खेजड़ली।
सिल लोढौ अर लूण-मिरचड़ी, चटणी बांटै मावड़ली॥
ताल-तलैया पेट दिखावै, पांणी दिखे न बूंदड़ली
खेळी खाली डांगर देखै, आंसू न्हाखै आंखड़ली॥
लूवां चायाँ थूक सुकजा, आंटा खावै जीभड़ली।
कागलियौ कंठां में चिपियौ, मुंडै अटकी बातड़ली॥
होठां ऊपर फेफ्यां आई, बळती चालै लूवड़ली।
बिन पांणी तिरवाळा आवै, दिन में देखै रातड़ली॥
धूळ बतूळा घेरा घालै, आंख्यां फिरगी रातड़ली।
पून चालती दे सूंसाड़ा, सीटयां बाजै रोहड़ली॥
जद तावड़ियौ आंख्यां काढै, डांगर देखे मौतड़ली।
चक्कर खांतौ पड़े मानखौ, खाय भुँवाळी टाटड़ली॥
जेठ असाढा जोबन झलकै, मदमस्ती में लूवड़ली।
बळती-झळती पून चालियां, चड़का लागै चामड़ली॥
पगां उभाणौ आजै-भाजै, रूंख दिखे नीं छांवड़ली।
सूकै होठां फिरै जीभड़ी, आंख्यां जोवै नाडड़ली॥
कागलियां रो चूंचां खुलजा, झूंपां लुकजा चिड़कड़ली।
कीड़ा-कीड़ी मरै तावड़ै, बळती बाळू धरतड़ली॥
लू-लपटां सूं पासौ राखण, टावर बड़जा झूपड़ली।
बूढा-बडेरा मांय दुबकजा, बैठे ऊंडी ओरड़ली॥