बांम बांम बकता बहै, दांम दांम चित देत।

गांम गांम नांखै गिंडक, रांम नांम में रेत॥

खळ तिण री खोटी करे, पापी अन जळ पाय।

मौको लागां मोडिया, चेली सूं चिप जाय॥

गृह धारी ओड़ां गिणां, नर थोड़ां में नेक।

भेक लियोड़ां में भला, कोड़ां मांही केक॥

सांडां ज्यूं साधड़ा, भांडां ज्यूं कर भेस।

रांडां में रोता फिरै, लाज आवै लेस॥

खाय खला खर खलक में, पला पाप रा पेख।

सला भलां री सदा, भला लेवै भेख॥

बोदा रे आडा बहै, सोदा मिळ नै सेंग।

भूखोड़ा भँवता फिरै, लाड खावै लेंग॥

सांधा जोड़े साधड़ा, साधां तोड़े संग।

दरसण दे लेवै दिरब, आंधा भींत अनंग॥

बिदर-सहेल्यां बीच में, हँस-हँस मारै होड।

चेली सूं चूकै नहीं, मौकौ लागां मोड॥

स्रोत
  • पोथी : ऊमरदान-ग्रंथावली ,
  • सिरजक : ऊमरदान लालस ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : तृतीय