मेळै रावळ माल रै, आया इसड़ा पीर।

जाणक चोसठ जोगण्यां, संग ले बावन वीर॥

आया कितायक अवलिया, बडा बडा दरवेस।

पांचा पंडवां जिसा, उमिया सहत महेस॥

जेसल ने तौळी जिसा, सबै आविया साथ।

आई तखत बैठाविया, निकळंक हुआ सनाथ॥

दरसण आया देवता, सिध साधक ले साथ।

चोरासी पीरा सहत, नव ही आया नाथ॥

राणी रूपां दे जिसा, सांप्रत जिका सगत्त।

घारू जिसड़ा ऊण घर, भवभव तणा भगत्त॥

स्रोत
  • पोथी : वीरवांण ,
  • सिरजक : बादर ढाढी ,
  • संपादक : लक्ष्मीकुमारी चूंडावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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