गुहिरौ गुहिरौ गरजीयौ, रेणा करिस्यै रूप।
वसधा मांहि वरसिस्यै, औ आसाढ़ अनूप॥
चंद्राउळि रौ चूड़िलौ, राधाजी रो रास।
सहीयां नां प्यारौ सही, माहवा श्रांवण मास॥
भूधर वरसै भाद्रवौ, सेहिरे वीज सिळाउ।
जेथी तेथी जादवौ, कांन्हड़ करै कळाउ॥
सांभळिजौ वसुदेव सुत, आसु मास अरज्ज।
कर जोड़ै पीरौ कहै, गोविंद करौ गरज्ज॥