दूहा

गुरू भवानी गज वदन, पसुपति लागूं पाय।
विघन हरण धाता विसन, सायक रहो सहाय॥

सावित्री रमा संकरी, मुर मुरती महमाय।
भरम निवारण भगवती, उकती दीजौ आय॥

आप ब्रमाण्ड उपावियो, भवां चवदै भोन।
चार खांण लख चुरासी, करै गिणती कोन॥

छंद - त्रिभंगी

आदी अवतरणी, व्योम विचरणी, जगत जणणी जगदम्बा।
ब्रह्मा मुख वरणी, तारण तरणी, असरण सरणी तूं अम्बा।
कीरत तो करणी, वणेन वरणी, ध्यान सूं धरणी तो ध्याता।
कृपा कर करणी, दाणव दरणी, सत्य उचरणी सुखदाता॥

अम्बर ऊपाया, वात वणाया, तेज तपाया तें तरणी।
मेळण पंचमाया, सह सुरराया, ओर उपाया जल धरणी।
बेकुंट बसाया, मोहन माया, रूप रचाया जग ताता।
कृपा कर करणी, दाणव दरणी, सत्य उचरणी सुखदाता॥

सावत्री ब्रह्मा, मोहन रम्मा, ईसर ऊमा धार धनी।
कीया ज करम्मा, धारण धम्मा, विश्वकरम्मा रूप वणी।
मेहर चन्दरमा, इन्द्र अरम्मा, धरम धरम्मा तो ध्याता।
कृपा कर करणी, दाणव दरणी, सत्य उचरणी सुखदाता॥

ब्रह्मा विस्तारी, मेर मुरारी, शिव संहारी देत दमैं।
मुर लोक मंजारी, नर अरु नारी, रूप सुधारी दोय रमैं।
इळ पर अवतारी, धर्म सुधारी, पाप प्रजारी वर दाता।
कृपा कर करणी, दाणव दरणी, सत्य उचरणी सुखदाता॥

खाण्डो नवखण्डा, पांण प्रचण्डा, दानव झुण्डा बिच दटणी।
खळ दळ कर खण्डा, तोड़ै तुण्डा, चण्डा मुण्डा कर चटणी।
दाणव सिर डण्डा, अभे ब्रमण्डा, दया अखण्डा दरसाता।
कृपा कर करणी, दाणव दरणी, सत्य उचरणी सुखदाता॥

सतां कज सारण, लाज वधारण, अमर उधारण सिध सेवी।
इळ भार उतारण, धर्म सुधारण, देत विडारण तुं देवी।
तीनों पुर तारण, विरध वधारण, गंध्रव चारण गुण गाता।
कृपा कर करणी, दाणव दरणी, सत्य उचरणी सुखदाता॥

गुण तोरा गावै, पार न पावै, ध्यान लगानै सह ध्यावै।
परचा वर पावै, गीत ज गावै, शीश नमावै सुध भावै।
भगतां मन भावै, किरत कहावै, वेद बतावै विख्याता।
कृपा कर करणी, दाणव दरणी, सत्य उचरणी सुखदाता॥

आरती उतारै, सदा संभारै, सरणै धारै सिद्ध सती।
सह कारज सारै, पार उतारै, 'भंवर' पुकारै भगवत्ती।
अवगुण अणपारै, मेट हमारै, मया विचारै तु माता।
कृपा कर करणी, दाणव दरणी, सत्य उचरणी सुखदाता॥

छप्पय 

आदि तु ही आधार, निराधार नीरंजणी।
आदि तु ही आधार, भय दाळद सह भंजणी।
आदि तु ही आधार, कार बार सब करणीह।
आदि तु ही आधार, धरा सेस सिर धरणीह।
आधार तों अेक ईसरी, बीस हथी वागेश्वरी।
करनला अरज 'भांवर' करैं, मेटै दुख मातेश्वरी॥
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