पाढण मानव प्रेम साजण देस सुतंतरी
आयो गांधी एक भारत तारण भानिया
करसां री किलकार हूंकर मजदूरां हळी
गांधी करी ललकार भारत उल्टै भानिया
गांधी बाथां घात ऊंचा लिया अछूत नैं
सत ऊजळ सरसात भारत रो मुख भानिया
असुरां लई उड़ाय सीता रूप सुतंत्रता
रे मोहन रघुराय भारत लावै भानिया
नाथण काळी नाग दुख मेटण निज देस रो
आयो घण अनुराग भारत मोहन भानिया
भारत देस भुजंग नहरू री पूँगी नचै
सेस माता नाग री सरवंग भारी जाग्यो भानिया
माता पड़दां मांय पूत जिकां रा पींजरां
हुई अधोगत हाय भारत इरण विध भानिया
जकड़ी परतन्त जोस थकड़ी माता लड़थड़ी
बेटै पकड़ी बोस भारत लकड़ी भानिया
धौळो पड़ग्यो घाव पिंड हिमालय पीघळै
आंसू झारै आप भारत दुखियो भानिया
भभकै ताप भरेह कदेक बळतै काळजै
धरती लूह घरेह भारत दुखियो भानिया
घर मानव हित घेय अत्र अहिंसा आसरै
इळ पर वीर अजेय भारत गांधी भानिया
पड़ती धाक प्रचंड हिंसावाळी हिंद में
गिटग्यो जिकां घमंड भारत गांधी भानिया
असंभै नैं संभैह सत मारग गांधी सझै
भातर हूंत भजैह भय परतंतर भानिया
रटग्यो मंत्र सुराज तपसी गंगाधर तिलक
उण नैं सझियो आज भारत सगळै भानिया
माता हित मरणोह मोटो तीरथ मानणो
भाव इसा भरणोह भारत गांधी भानिया
डोकर रै भुज-दंड एग तपोबळ आसरै
पळटै वेग प्रचंड भारत काया भानिया
पग-पग जेळां काया पाय गांधी री ऊमर गयी
डोकर दिये छुड़ाय भारत माता भानिया
करता बैम कदेक क्यूं ईसो फांसी चढ्यो
दिस गांधी-री देख भयो भरोसो भानिया
जादू लकड़ी जोर परतंतर भारत पड़य्यो
तप गांधी रे तोर भचकै ऊठ्यो भानिया
जूना छत्री जाय भय स्वारथ छाना भया
अब छत्री-भ्रम प्राय भरग्यो परजा भानिया
पूगी समदां पार सीता समी सुतंत्रता
तप-बळ गांधी तार भारत लावै भानिया