राहु केत ससि सूर नूर की ठौर उठाई।
रावन संगि समंद सीस परि पाज बंधाई॥
बंस बनी पापिष्ट नांव पर करगस तीरं।
गंगोदिक मद मिलत ख्वार मद भंजन खीरं॥
तीरथ गये समंद मिलि दूध देखि कांजी परे।
रज्जब अज्जबता गई एक कुसंगति के करे॥