येक सु भूखौं मरहिं येक खाईकै व्है भारी।

येक सु बजरी भखहिं येक व्है पवन अहारी॥

येक सु नीली तजहिं येक कंदमूल सु खाहीं।

येक सु पीवहिं दूध येक मन मेवहि माहीं॥

येक रूखा येक तेल लेहिं सुमिरन सुरति ठाहरे।

मनोबिरति जग ठगन कौं रज्जब बहु पाखंड धरे॥

स्रोत
  • पोथी : रज्जब बानी ,
  • सिरजक : रज्जब जी ,
  • संपादक : ब्रजलाल वर्मा ,
  • प्रकाशक : उपमा प्रकाशन, कानपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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