गहण बेद बैदंग रोग नीरत सिर हारं।

सूंघत धमगर धात खबरि अहि निसि खनि वारं॥

स्वान बरत अज कूप पनिंग परमल गति जानै।

निस बाइस बिन स्याल बोलि सोइ बिघन बखानै॥

सहदेव समझी ग्वाल गमि सुत संकट माता थणहु।

रज्जब सीझै सौण लग आगम जानै घणहु॥

स्रोत
  • पोथी : रज्जब बानी ,
  • सिरजक : रज्जब जी ,
  • संपादक : ब्रजलाल वर्मा ,
  • प्रकाशक : उपमा प्रकाशन, कानपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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