सारंग सुर सु बिनास मीन रसना रस आसा।

पावक पेखि पतंग भंवर नासक विधि बासा॥

पटछल वारुण बाघ मुगद मति मरकट सूवा।

मूस चुरावत बाति पवंग पावक परि मूवा॥

स्वान मोच दरपनि महल मकरी मूंदि सु द्वार कौ।

रज्जब मरहिं सिधौर बग पाया नहीं बिचार कौ॥

स्रोत
  • पोथी : रज्जब बानी ,
  • सिरजक : रज्जब जी ,
  • संपादक : ब्रजलाल वर्मा ,
  • प्रकाशक : उपमा प्रकाशन, कानपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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