हरि पैड़ी हरिद्वारि, नीर सोरंम रै वाह्यां।
मकै मदीनै मांहि, प्राग वड़ दरसंण पायां॥
गया कोड़ि गोमती, कोड़ि जिग तीरथ कीजै।
कोड़ि वार दस कोड़ि, दांन गांवतरी दीजै॥
इंद्र दमण उड़ीसै बीच अति, गोविंद गोवंद गाईयां।
हो पीर लाभ इतरो हुवै, आलम धोरै आईयां॥
रहमांणौ राघवौ पारि पैहिलै पहचाया।
क्रिपा करंतै कांन्ह अतघ संसार तराया॥
आज भलै वातड़ै, आज रविवारू ऊगौ।
आज हुऔ आणंद पाप नाठौ पंन पूगौ॥
सेतलै तणा दरसणा सही, पीर कवेसरि पाइया।
धन घड़ी आज मुहरत धन, आलंम धोरै आइया॥
भिले भिले भेषगां, सरब ग्रह हुआ सवाड़ा।
भिले भिले भगवंत प्रघळ ताहरां प्रवाड़ा॥
असर कमळ विचि एक, मांहि बैठो महाराजा।
दिलि भीतरि देवता, रहै रांमइयो राजा॥
प्रभ तणौ नांम रे पीरिया, जिकुंस सखरो जांणिया।
कलांण तणां चरणां कनै, आलम धोरै आंणिया॥
प्रथिमि उड़िसै धाह, थाह खरसांणि उरेरो।
दोड़ै नी दोड़ि रे, घोड़ बड़गड़े घणेरो।
आवै रथ आंहचौ, हाथ बाहिरा क.......हल।
तूं धानंतर धणी, भला थारो दाखे भल।
कवि तणौ पुत्र साजो करे, कवि थारै रै काम छै।
हरिदास ईए यारे हुओ, आलम आवै आंहचै॥
सिधि सागर सारखा, बांण गंगा बहतेरा।
पंच तीरथी प्रिघळा, सेतबंदह सह तेरा।
कासी सरखा किता, जंमण सरसती सिगळा जळ।
परब तोया अण पार, चित्रकोट उद्याचळ।
बदरो केदार सरीखा वहत, खांरालंभ राखण खरा।
उआरणै करै तीरथ इता, आलंम धोरै ऊपरा॥