रोपवि काठ सुगंध, अगर चन्दण मळियागर।
परमळ धूप कपूर, घिरत सींचै वैसन्नर।
मिळे कोड तेंतीस, सूर उच्चिस्त्रव साहे।
करन बात अखियात, माल राजा पड़गाहे।
सिस बिंब जेम ऊमां सती, कमळ बसे सोळह कळा।
गंगेव राव, रावळ करण, आज करे बिहुं ऊजळा॥