रोपवि काठ सुगंध, अगर चन्दण मळियागर।

परमळ धूप कपूर, घिरत सींचै वैसन्नर।

मिळे कोड तेंतीस, सूर उच्चिस्त्रव साहे।

करन बात अखियात, माल राजा पड़गाहे।

सिस बिंब जेम ऊमां सती, कमळ बसे सोळह कळा।

गंगेव राव, रावळ करण, आज करे बिहुं ऊजळा॥

स्रोत
  • पोथी : उमादे भटियाणी रा कवित्त ( प्राचीन काव्य) ,
  • सिरजक : आशानंद बारहठ ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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