(1)
ब्याव पछै जद थूं
पैल पोत गयी ही पीहर
सावण रै म्हीनै
आखै दिन मूंधै माथै
सूत्यो रैयो म्हूं,
सिंझ्या बगत
धकै सूं साम्यो डील
लता धोया अर पछै न्हायो
न्हावंता ही लागी
तकड़ी सी'क भूख
जद तेरी जिठाणी ल्यायी
थाळी पूरस'र
खीचड़ी अर उपर दही
बेगी सी थाळी पकड़'र
दही अर खीचड़ी रळावण री
करी आफळ
उकळती खीचड़ी सूं
म्हारी आंगळियां रा पोर बळग्या
आपी आप हाथां सूं छूट गी थाळी
अर एक दबेड़ी सी'क
चीख नीकळी...
दस मीनट खातर
अळगी छोड़ दी थाळी
अर हियै मांय आयी थारी याद
याद आयो थारै कंवळै हाथां सूं
फूंक मार'र दियोड़ो गासीयो
याद आयो आप जोड़ायत रै
गोडै सारै बैठ'र अरोग्योड़ो जीमण
आंख्यां तिर गी
पसेव सो आ ग्यो
जीव नै जीव री याद आयी
जीव खातर जीव दोरो होयो
अचाणचकै पेट मांय
फेरुं कूद्या ऊन्दरा
निजर गयी थाळी कानी
देख्यो तो दही छोड राख्यो
आपगो सगळो पाणी
म्हानै लाग्यो-
म्हारो हियौ छोडै़ हो पाणी
आपरी याद मांय
पण के इलाज
याद तो आवै ही, बीतै जद
(2)
म्हारै खान्दा माथै घर रो भार
लेय'र म्हैं सैर आयो
आज आखै दिन
मन अणमणो रह्यो
आधी रात ढळगी
पण आंख्यां मांय नींद नीं है
हिवड़ै मांय थारी ओळ्यूं है।
इण बगत थूं कियां होसी?
काँईं करती होसी?
कै थूं ही इण
मांझल रात मांय
म्हारी परीत
आंख्यां उतारती होसी
कै आखै दिन
घर रै कमतर सूं
थक्योड़ी पोढ़गी होसी
कै परदेस मांय म्हारै
सुखी अर निरोगो
रेवण री
आस करती होसी
कै दीवै रै उजास मांय
म्हारी ओळ्यूं लियां
घणै परेम सूं
म्हारै ताणी
नुई जरसी गूंथती होसी।