सबद हुवै माळा 
सबद हुवै 
मिनखां री ताकत! 
सबद हरलै 
मिनखां रो चित्त 
कै मनड़ो लेवै जीत! 
सबद री खिमता नै 
जाण जावै 
बगतसर 
नीं अटकै बौ कठैई 
आखी उमर! 
 
                 
                
                    
                        स्रोत
                            
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                                        पोथी : राजस्थली लोक चेतना री राजस्थानी तिमाही
                                            ,
                                    
 
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                                        सिरजक : संदीप ‘निर्भय’	
                                            ,
                                    
 
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                                        संपादक : श्याम महर्षि
                                            ,
                                    
 
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                                        प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ