गोडां ताईं बीड़ में

उगियोड़ो

लैरावतो

चुभणियो लापळो

छीलै वीं रो बदन।

छेटी, घणी छेटी

एक मुंडेरी माथै

भूखो, नागो

पिटांट डील लियां

जॉज री धुन माथै नाचै

अर गावै

भूखी पीढी रौ

दरद भर्‌योडो गीतड़लो

मुळक-मुळक नै

स्यात

कठै ही भण लियो हो

मिलै है जिनगाणी

आपा नैं

मार नै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : विनोद सोमानी ‘हंस’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी संस्कृति पीठ राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़