ओळ ताणता ताणता
थाकी ने हारी पड़िया
ढाह नो पूंसड़ो आमरता
मारे मन मएं विसार आव्यो
के ऐवी ने ऐवी हालत
मारी भी रोज दाड़े थाय है।
दरद थकी डील टूटतो वें
ने हाड़कां नूं जोड़-जोड़ करी पड़े
पण म्हूं ऐना थकी
सादरो ताणी ने हूई नैं हकतो,
केम के ऐने
सोरां नौ पेट नी भरवो पड़े
मांदा डोहा नीं औकद नीं लावी पड़े
मोटियाड़ी थाती सोरी नीं सन्ता नीं
न हगू नबाब्बु है
न दुनियादारी।
बस सरवौ न हेण्डवू
थाकै तारै अड़ी जावू,
ने जगा मातै पड़ी जावू,
ई जोइनै म्हूं विसार करूं
के हूं भी ढाहो थातो
तो केवू रेतू।