हूँ

जोई ने उबा हौ।

हेंडता रो

केने कएं नकै कौ,

आ।

आतो अणा जमानो नो वायरो है।

फैसन ना नवरा सक्कर

मएं

वएं वएं दोडै़

बीड़ी सिगरेट नै पान

दारू पी भूली जा भान।

बाप नै बाप, नै

आई नै आई

नै हमजै,

स्यार सोपड़ी भणी

अणा आज ना

वायरा हातै

ओंसा अगांस मएं उडै़

पीपरा ना पान् वजुरा

फड़ फड़ करै

वना गणतीए

आड़ी अवरी मोतै मरै

अणा ओंना ओंना

वायरा हातै

नाना मोटा नी कदर घटी,

विलायती भाषा ना

थोड़ाक शबद रटी

आपड़ी जात भारै।

गाम गरीएं मएं

आपड़ो रौप मारै

वायरौ

अटला दाड़ा हतौ बायरौ

पण अवे घोर नै

मएं,

मएं नै बारते

स्यारी आडे़

देकाय

आस वायरो।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : राजेश राज ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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