वगड़ा में बेटी विटली वाट जुवै है,

मनजी बपोरँ में रोटो लई नै आवै है।

वेगरे थकी,

रतनो बोल्यो -

हाण्णू तो आजे नती कर्यु,

काँदो नै फाड़, रोटो लावै है।

बा तो हाँट् घड़वा गई है,

बापो बरद लई ने ग्यो है।

मीरं इस्कूल भणवा गई है,

लालो-वालो लाकड़ँ लेवा ग्यो है।

वात हाम्बरी विटली,

बापड़ी भूखी जिन्दगी उपर।

ढऊकै, ढऊकै रोवै है,

वगड़ा में बेटी विटली वाट जुवै है।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : ललित लहरी ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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