मु

वाट जुई-ने

बेठो हूँ

सन्द्याकार ना

गोखड़ा में बेटो-बेटो...

कोई-क-त

वादरू ओगा

जे

झी-की ने रेडेगा

ताजा ताजा सौटं टपकं

एणा-जागता उपर

जे कुण-कुण वर थकी

मारे

मय ला खुरीया में बरी रई है।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : बृज मोहन ‘तूफान’ ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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