राई, अणबाढ़ी, झूमै!

फोज्यां, धीमा चालो!

म्हे ई...

छोर्‌यां म्हारै गैलां जावती

जियां छोरा जावै,

नईं, बै झूंपड़ा कोनी चमकै

म्हारी जवानी चमक सूं पीळी दीसै।

इण दिनां छोर्‌यां लड़ाई में जावै

जाणै छोरा जावै ज्यूं।

स्रोत
  • पोथी : लेनिन काव्य कुसुमांजळी ,
  • सिरजक : यूलिया ड्रू नीना ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थान भासा प्रचार सभा (जयपुर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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