गांम ना चौक मअें

तण वाटं नी बेबटै उबौ वड़लौ

अपड़ा गांम नौ इतियासकार

महाभारत नो भीसमपितामह

सदा पांच वरियौ जौवणियात बणी रैवा वारो

भोग-विलासी कामणगारौ

कई 'क वैरा आपड़ा खौरा मअें

नानं - नानं छौरं रमाड़े

कई 'क वैरे जान उतारै

गीत गवाड़े

वारै तैवारे नाच नचाड़े

होरी नी गैर रमाड़े

गांम नी पंचायत करावे

नै कई 'क वैरे वकरी जाये तौ

गांम- गांम नं मनख भैगं करे

तौ लट्ठमार दंगा

झगड़ा करावे

मनख ने दूध परतै फाड़े आले

अेक डूंगरी माथै उबौ रई

म्हारी ढोलकी अैणा भीसमपितामह ने

मसखरी करे नै बौली पड़े

ढब ढबूक ढब ढबूक

वडला दादा !

थारी डौकरायेली उम्मर मयं पण

थारी जवानी ना राग गाती

नीत नवी नेकरती थारी वडवाइये

थारा अतीत माअें

थारू अजी लांबू भविस्य

जोड़ी रई है नै करी रई है के

मनखं नी कई 'क पीढ़िये

कई'क घटनाये उठापठक

अकाल खुसाली जुद्ध

जीवणी नै मौत जौई-जौई

थाकता नथी / पाका थाता जअें

केटली पीढ़िये अे

आपड़ी पंचायती औरखेण सारू

चबूतरा बणाव्या हैं

थारा चबूतरा माथै पथराती जाजम

गांम ने न्याव आले

न्यावटू कूटवा वारा पंच

थारा चरणं मअें बैही

रात-रात सूधी गांगेड़ता रअें

नै तू अणी संसद नी कार्रवाई ने

आपड़ा अणलख्या इतियास मअें

जोड़तौ जाये अेक- अेक नवो पाठ

सुख-दुख मअें

कई 'क आदमियं ना जीवन मअें

नवा मौड़ आवी पड़े

सांचा ने न्याव मले

झूठा ने आपड़ी करणी भूगतवी पड़े

पंच नी वात राखवी पड़े

ते केटलं नानं-नानं छौरं ने

आपड़ा चबूतरा माथै

रमाड़ी-रमाड़ी मौटा करे

हैत्तू जनम छांइलौ आल्यौ

नै मर्यं पूठै पीढ़ियं ने

ते अैम नै अैम छाया आली

थाक्या आदमी ने

सांति नी सांस डूकरं ने नै बीमार ने

मन लगाड़वा नीं बैठक

गोठियं नी गप्प-गोस्ठी

नै भगत नी भजन मंडली नी

जाजम बणी बैठो है

थारौ छाइलौ

ऊंच-नीचं जात-पात, कारं - धौरं

आदमी - बइरू, गांम - परगांम, नानू - मौटू

नै कांअै लकीरे आड़ी नती

अणूंने वांटवा सारू थारै पाहे

वड़ला दादा !

तू सर्वसगतीमान गांम नो वड़ील

थारी वडवाइयं मों हिच्या

टाबरकं ने तू भूख्या हरतै देखी सके

आतंकी मनखं ने

अैणं ना सोसण नो इतियास

तनै बताड़वौ पड़ेगा

तनै जगाड़वौ पड़ेगा

आंय पैदा थावा वारा

नै आंय झगड़ा उबा करवा

सकुनियं ने तनै बताड़वू पड़ेगा

कै आदमी नुं सत्य

हरतै उभू थाय?

पीढ़िये हरतै- हरतै माफ करी सकेंगा

थारै तवै थावा गोटारं ने

वड़ला नुं रूकडू बापडू

भीसम पितामह वजू मजबूर थई

हरीयाखाट (सरसैया) माथै पड्यु-पड्यु

कां न्हें करी सकवा नी आपड़ी मजबूरी बताड़ी

छांनूमनू पड्यु रै ने

ढोलकी अैनुं मौन तोड़वा

ढब ढबूक ढब ढबूक।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : ज्योतिपुंज ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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