(वीर माता माणिक कँवर)
थारै मन री बात लाडेसर, म्हारै सूं अणजाणी के
जे आँख्या में पाणी ल्याऊं, भारत री छत्राणी के
कंत हजारी बाग जेळ में, बेटो जेळ बरेली में
देवर जी जंगल में भटकै, गोरा घुसिया हेली में
जामाता जूझै गोरां सूं, सगळां मन ठाणी के
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊ, भारत री छत्राणी के
अड्यो रह्यो दुस्मयां रै आगै, जुलम सह्या झुकियो कोनी
सत्ता और सूरमा बिच में, जंग कदे रुकियो कोनी
डर कर जो घर में घुस बैठ्या, वां री कथा कहाणी के
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊ, भारत री छत्राणी के
बेटा थारो बोल सुण्यो जद, हिवड़ो हरख्यो म्हांरो
कुळ चारण री बढ़ी कीरती, गरब गळ्यो गोरा रो
मरण पंथ पंथी मतवाळां, लाभ काईं अर हाणी के
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊ, भारत री छत्राणी के
जामण वा बडभागण बाजै, मनडै में मोद मनावै
जिणरो जायो मातभोम रै, चरणां में सीस चढावै
जस-जीवण सूं बडी जगत में है कोई हेमाणी के
जे आँख्या में पाणी ल्याऊं, भारत री छत्राणी के।
दूध ऊजाळ गयो अमरापुर, रे बारठ बडभागी
आजादी रै हवन कुंड में, जोत जगामग जागी
महादेव गळहार बण्यो थूं, मन उदियासी लाणी के
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊं, भारत री छत्राणी के