म्हनैं म्हारौ मूंडौ मोड़णौ याद दिरावै थारै सूं
पछै थारी चितार सूं
गुनाह री सोच सूं भर जाऊँ
औ सोच'र के जद थनै म्हारी सखत जरूरत ही
म्हैं होय'र उठै कोनी हौ
थारा वै आगे बढ़णै रा दिन हा
म्हारै बिना थारौ घणौ मुस्कल समै हौ
वौ बखत चितारै आवै तो खुद नै दुरकारुं
म्हैं थारै सूं कदैई हिंवळास सूं नीं बोल्यौ
सनैव तो घणै अळगै री बात ही
म्हैं जाणतौ हौ थूं हिणीमिणी हुय जावती
पण म्हैं थारी परवाह नीं करी
थूं आखी रात नीं सुवती अर
म्हैं पसवाड़ों फैर र गैरी नींद सूय जावतौ
थूं हिम्मत राखी
टाबर-टींगर घर-बार
दुनियादारी सैं कीं संभाल्या
आज थूं म्हारै सूं घणी आगै निकळगी है
थनै मंजिल मिलगी
म्हैं चाऊँ कै थारै सामी माथौ ऊंचौ कर'र बात करूँ
पण कोनी कर सकूं
आज बस ओ इज कैवणीं चावूँ
के जिकी खाली जग्यां थारी जिनगाणी मांय रैयगी है
सगळी भरूँ
पछै भलौंई मरूँ!