विचारां रै खवां माथै
साच्याणी
थांरै विचारां में रळयोड़ो है
धरती रो धीरज।
सत्य अर अहिंसा री भेळप
धधकतै सुरजी रै उनमान
बाळण वाळो है बापू
कींकर धारयो आप उणनैं
उण अबखै बगत।
जद कदी शेषनाग रो फण
थक जावैला
का गऊ माता देय देवैला पडूत्तर
आपरै सींगां माथै
धरा नैं धारण सूं
फगत आपरै विचारां रै खवां माथै
टिकैला आ धरती।
धरा माथै देवता
चरखो, खादी अर लाठी
नवा कोनी
जुगां सूं मौजूद है आपणै ओळै-दोळै।
सत्य, अहिंसा अर समता री गाथावां
सईकां सूं कथी-सुणी जावै
लोक अर शास्त्र में।
मूळ बात है-
देखणो अर जीवणो
आप देखी प्रीत
आप देखी पीड़
आप जियां देखी जूण
बियां कद देखी कोई।
अवतरित हुवता किणी नैं
कद देख्यो है कोई
जद मिनख उठ जावै ऊंचो
देवता हुय जावै।