आस रो दिवलो संजोयां सांस में, अेकलो बैठ्यो उडीकू भोर नै!!

मानखो सूत्यो पड़्यो चुपचाप है, डील पर उणरै पळोटै सांप है!

पीवणो हर सांस री गिणती करै, होठ पर फण आपरो पटकै धरै!

फंस जावै काळ रै गास में,उफ्फ! पकड़ ल्यो सांप-आदमखोर नै!

आस रो दिवलो संजोयां सांस में, अेकलो बैठ्यो उडीकू भोर नै!

नींद नागण-सी लिपटगी सांच रै, कील मुरगै रै ठुक्योड़ी चांच रै!

स्वारथी-सुपना फंसावै जाळ में, जुलम रो जीमण परोसै थाळ में!

सब फंस्योड़ा है जठै बकवास में, कुण बंचावै काळजै री कोर नै !

आस रो दिवलो संजोयां सांस में, अेकलो बैठ्यो उडीकू भोर नै!!

नीत रै चढ़ग्यो नसो निज-नाम रो, ढोंग बणग्यो नाम 'राजा-राम' रो!

न्याय तोलै, ताकड़ी में काण है, जुग अंधारै रो बण्यो रैठाण है!

किरण भुगतै कैद, कारावास में, कुण पूजै सांच री गणगौर नै?

आस रो दिवलो संजोयां सांस में, अेकलो बैठ्यो उडीकू भोर नै!!

कंठ मोसै लालची ईमान रा, बध गया है भाव बेईमान रा!

चाल रैई घात-उपरां-घात है, मानखै चौफेर काळी-रात है!

अेक तारो नहीं आकास में, भाग सूं मौका मिलै है चोर नै!

आस रो दिवलो संजोयां सांस में, अेकलो बैठ्यो उडीकू भोर नै!!

जरख चढगी डाकण्यां घूमै घणी, भाव-भोळी टाबरी रो कुण धणी?

काम कोजो होयग्यो संसार में, वीर-रस भी जा फस्यो सिणगार में!

काव्य-रस सब फंस गया है हास में, कुण दकाळै बाजुवां रै जोर नै?

आस रो दिवलो संजोयां सांस में, अेकलो बैठ्यो उडीकू भोर नै!!

फैल रैयो राज पापी-कंस रो, नीठग्यो है नांव अब रघुवंस रो!

ओपरां-ई-ओपरां री भीड़ है, खाय रैयो मानखो घम्मीड़ है!

दम घुटै काळै-कपट रै रास में, रोकणो ओखो नसीलै-दौर नै!

आस रो दिवलो संजोयां सांस में, अेकलो बैठ्यो उडीकू भोर नै!!

कद, अंधारै-दैत रो सिर फूटसी? कद, हियां री गैल इण सूं छूटसी?

कद, किरण-कंवर्यां पुरब में पूगसी? कद, उजाळै रो धणी, दिन ऊगसी?

कद, चिलकसी तेज-तप आकास में? गाणदै जागरण-गीत 'किशोर' नै

आस रो दिवलो संजोयां सांस में, अेकलो बैठ्यो उडीकू भोर नै!!

स्रोत
  • पोथी : देखै जिसी चितारै ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकांत ,
  • प्रकाशक : कल्पना लोक प्रकाशन, रतनगढ़ ,
  • संस्करण : pratham