सच में म्हानै कोई
सांच याद आर्यो है,
कोई है जिको
नौशाद री धुन में
गार्यो है।
सच में म्हानै कोई
सांच याद आर्यो है।
जोरकी आवाजां
अब रोमांचित
कोनी करै,
आंख्यां में अणजाणी
आग कोनी भरै,
कठै अब मां रो दूध
अखाड़ां में
ताल ठोकर्यो है
अब कुणसो टाबर
नाराज पिता नैं
बारणैं जाणैं सैं
रोकर्यो है।
सांच में कोई
पिछवाड़ै बैठ्यो
झांसी री कहाणी
सुणार्यो है।
सच में म्हानै कोई
सांच याद आर्यो है,
कोई है जिको
नौशाद री धुन में
गार्यो है।
भरोसै रै बदन पर
अब धारियां ही
धारियां खिंची हैं
प्रेम रै सुर्ख रंगां पर
अब आरियां ही
आरियां खिंची हैं।
अब बै नगमा
है ई कठै जिका
‘शैलेन्द्र’ गावै हो,
हर दरद नैं पलकां पर
झुलावै हो।
अफसोच अब
हर भगतसिंह
सर झुकार्यो है
सच में म्हानै कोई
सांच याद आर्यो है,
कोई है जिको
नौशाद री धुन में
गार्यो है।
तिरसै हरिण री तिरस
अब भी बरकरार है,
धूप अर छांव में
अब भी तकरार है
लोग अब बैठ्या बैठ्या
ही बीं पार जाणों चावै है
दिन भर अधरम नैं
साथ लियां
सैर करावैं है
अर मोक्ष पाणै सारू
सांझ नै भजन गावै है।
दिनूंगै उठकै लोग
अब कठै मां नैं सीस
नवावैं है।
भूल जावै है मां रो
जलम दिन, अर पड़ोस री
मोना रो बरथडे मनावै है।
मैं कद सूं बारनै बठ्यो हूं
अर मनै कोई कदस्यूं
घर में बुलार्यो है,
सच में म्हानै कोई
सांच याद आर्यो है,
कोई है जिको
नौशाद री धुन में
गार्यो है।
च्यारूंमेर तमाशबीनां रो
मेळो है
अर भीड़ में भी हरिश्चन्द्र
अेकलो है,
बो देखो झूठ नहा धोकर आर्यो है।
सच में म्हानै कोई
सांच याद आर्यो है,
कोई है जिको
नौशाद री धुन में
गार्यो है।