म्हनै!

सागीड़ी तिस ही

थारै माथै

ऊपरतांई

हबोळा मारतौ

मीठै पाणी रौ

भरियो घड़ौ

एक बूक पा जांवती

म्हारी चिता नीं बळती।

स्रोत
  • सिरजक : नवनीत पाण्डे ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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