तिरंगो म्हारो रे

हां हां रे तिरंगो म्हारो रे,

प्राणां सुं म्हांने प्यारो लागे,

घणों रूपाळो रे,

तिरंगो म्हारो रे!

केशरिया सफेद हरा ए,

रंग घणां मन भावे रे,

एकता बलिदान शांति रो,

पाठ पढावे रे, तिरंगो म्हारो रे!

आन बान अर शान देश री,

इणं पर वारी जावां रे,

आओ मिलकर आज इनें,

घर घर फहरावां रे,

तिरंगो म्हारो रे!

आजादी रो इमरत मेळो,

मिलकर आज मनावांला,

अमर शहीदां रा चरणां में,

शीष नवावांला, तिरंगो म्हारो रे!

नहीं झुक्यो नहीं झुकेला,

शान सुं लहरावेला,

दुनियां में भारत माता रो,

मान बढावेला, तिरंगो म्हारो रे!

आपस रा मतभेद भुलाकर

जन गण मन सब गावो रे,

वंदे मातरम जयहिंद री,

गूंज सुणावो रे, तिरंगो म्हारो रे!

गांव गांव अर गळी तिरंगो,

शान सुं लहरावेला,

देश भगती रो संदेशो,

घर घर पहुंचावेला, तिरंगो म्हारो रे!

आखी दुनियां मांय अबै,

भारत रो डंको बाजेला,

विश्व गुरू भारत नें पूरी,

दुनियां मानेला!

तिरंगो म्हारो रे,

हां हां रे तिरंगो म्हारो रे,

प्राणां सुं म्हांने प्यारो लागे,

घणों रूपाळो रे,

तिरंगो म्हारो रे!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : श्रीनिवास तिवाड़ी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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