जद मुस्कल हुवै

याद आवै

आसरो

म्हारै सागै भी

हुई इसी, पण

आपरी राखेड़ी अठै

काम आवै

घणा सा पड़ौसी जद

जी चुरावै

इण बख्त पर

ईं टेम घणा घणा पड़ोसी

बोल्या थे म्हारै साथ रेहल्यो

जिता दिन चावो

इतो नेह देख

काळजो मुळक्यो

सोच्यो मिनखपणो

है पड़ोसिया में

सागै म्हारै में भी।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : प्रभुदयाल मोठसरा ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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