थारी रिच्छा नै

खींची कार

बणगी

थारै करमां रौ भार

फलांगण इणनै

लगायोड़ी

थारी हरेक छलांग

उतर जावै

किणी काळी कोटड़ी

थूं मिटाय सकै

मंडियोड़ी हथाळियां

लोप सकै

करमां चिळकती

पण मां

तीजी रेख

थूं

जद-जद

फलांगण जावैला

कुलखणी बाजैला...!

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम