मा सूं
दो रिपीया लेय’र
गतै रे डब्बै मांय
दुकान खोली म्हैं
परचूण री।
तावड़ो चढ़ग्यो
अर
छियां ढ़ळगी
पण
गाहक नीं आयो।
सेवट
मेरी बूहणी होयगी
बण कैयो कै
‘थू तो मूंघो भोत है’