थूं जीवती कद ही मां

म्हारौ बाप

ले आयौ परायी नार

भारजा रौ भरम

किरच किरच होय बिखर गयौ

थूं तो

उण दिन मरगी ह।

मां

थारौ जायौ

थारी छाती पग देवतौ आयौ

नटगियौ आपरी ओळखांण सूं

ओळखांण

जिकी थूं दीनी ही

मां

थारौ मरणौ तौ जुग रौ मरणौ है।

जुड़ियोड़ी कड़ियां तूटती देखण नै

आंख तौ ही

नीजर नीं ही मां

थारौ घर

धणी री आंख मांय बसतौ हौ

अर वो

फेर ल़ेवतौ मूंडौ

जंचती जद।

छीणां रै नीचे काटी जूंण

उणनै घर मत कै मां

घर तौ अेक नाम है भरोसै रौ

जकौ

चंवरी में बैठतां ऊगियौ हौ

थनै तौ

ऊभी लाया हा मां

आडी काढण नै।

मां

थूं जीवती कद ही।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम