काळ-दुकाळ-त्रिकाळ में

बचायो अेवाळ्ये नैं

भेडां

आज ई—

अेवाळ्ये री टिचकारी पर

थिरके

गाँव।

स्रोत
  • सिरजक : संदीप निर्भय ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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