मन रो अंधारो

थारो है

उणनै मेटण खातर

दूजो नीं आवै!

थारो अंधारो

थानै मेटणो है...

मेट अंधारो

फेरूं खड़ो हुयजा

अेक नूंवी कहाणी

मैणत सूं घडज्या!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : मधु आचार्य 'आशावादी'