खूंटी माथै टंगियो
असमानी छींट रो कुरतो
जाणै अबार आगै हाथ बधाय
पैर लेयसी पीळियो पोमचो
कै तीन-तीन बेटां री
धावज हुवणौ रो गुमान
हरियो लहंगो
थारी अणकंप देही साथै
घर री थळी
आंख्यां सूं अदीठ हुयां पैली
रग-रग में पसराय देवणो चावै
हेत री हरियाळी
आवती पीढियां सारू।
कुरतो-ओढणी
जाणै जूण रो जथारथ
थिर हुयग्यो हुवै जाणै
सौ-क्यूंई थारी सांसां साथै
थमग्या परभाती-सिंझ्या
दीवो-धूप-भोग-आरती
सगळा नित-नेम।
खूणै में दापळियोड़ी
मां रै पीवर सूं आयोड़ी चाकी
साव मून पड़ी है
कदै-कदास दाळ-दळिया दळता
कै पीस चूण
तद गुमेज सूं जवान कंठां
उगटती-फूटती
चिरमी-ओळूं-कुरजां रागळी
बुक्को फाड़
बसबसीज नैं रोयो चाकी रो हाथो
पणिहारी-गौर-फागण साथै
झूम-झूम जावता साथै
झूम-झूम जावता कदैई
इण घट्टी रा पाट
बधावा-पांवणा-जच्चा री राग
सागै हुळ-हुळ हुळसती ही चूळ
आज साठ बरसां री चींत-चितार
चुभै अणथाग
जाणै गडता हुवै कीकर सूळ
लटाण माथै पड़यो चरखो
कर लेवणा चावै
छेकड़ला दरस
आपरी मनगत री
पूरी-आधी हूंस रा
जिकी सूत साथै आखी उमर
कातती रैयी मां पल-छिण...
मां साथै गा लेवणो चावै हरजस
छेहलै अजूणै रूप
मां री अपूरित इच्छावां सारू
नै खुद रै होवण रै अरथाव वास्तै
मां कांई मून धारयो
चूल्है री अगन ही
साव अबोली हुय
जाणै ले ली हुवै छेकड़ली सांसक
भोभर दांई बची है फगत
संबंधा में चिणखारी
जिकी मां रै तेरहवैं तांई
होय जावणी है राख निस्वै
पळींडै री भीजती रेत में
उगाई ही ममता री दूब
जिणनैं अरथ-लोभ रो तावड़ियो
चाहै लाख बाळण चावै
पण बादळिया कसवाड़
रह-रह बरसैला
मां री ममता रा
तद हरियल हुय जावैली दूब
अर पाछी जी उठैला मां
आंख्यां रै भीजतै कोइयां
मन री हेली
अर इण घर-संसार में
पूरी पाठी मां
आपरै निजू रूप में।
म्हैं उतार फेंकूं
सगळी अबखायां नैं
जिण नैं करम जाण
ओढै अर ढोवै
मरजादा सूं बंधी
तावणका तोड़ै अर
हरफ नीं हिलावै
म्हैं आपणी लेखणी सूं
रच सकूं तो रचूं
इसी लुगाई
जिणरो मान व्है
जकी मान व्है
जकी बाप, धणी
अर बेटां रै खांदै नीं
आपरै वजूद सूं
ऊभी हुवै
ओळखी जावै
धुतकार नीं
इज्जत री रोटी पावै
देह री नीं
मिनखपणा री
प्रतिष्ठा पावै।