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थारी मुळक म्हारी कविता
गौरीशंकर निमिवाळ
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थारै
माथै
मांड
दी
कविता
थनै
ई
सुणास्यूं
म्हनै
है
पतियारो
थूं
मुळकसी
थारी
मुळक
ई
म्हारी
कविता
है।
स्रोत
पोथी
: ऊरमा रा अैनांण
,
सिरजक
: गौरीशंकर निमिवाळ
,
संपादक
: हरीश बी. शर्मा
,
प्रकाशक
: साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली
,
संस्करण
: प्रथम
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